Sunday 18 December 2011

कशमीर समस्या

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव व य़ुद्धो का कारण कश्मीर समस्या को मानना भ्रांति है। सन 1947 से चली आ रही इस समस्या से ही लड़ाइया छिड़ी  है। तथापि गहराई से देखने पर मालूम होगा कि समस्त भारत पाकिस्तान संघर्ष और झगड़ो के मूल में और समस्या है और कश्मीर समस्या भी उसी मूल समस्या का एक महत्वपूर्ण अंग है। सन् 1947 में भारत का दुर्भागयपूर्ण विभाजन हुआ। अंग्रजो ने भारत में DIVIDE AND RULE  अर्थात फूट पैदा करो और राज्य करोकी नीति अपनाकर भारतीय राष्टयीता को भंग करने के अनेक प्रयत्न कीए। मुस्लिम लीग ने जो कि  भारत के धर्माध मुसलमानो की राजनीतिक संस्था थी, ने आवाज़ उठाई कि भारत में हिंदु और मुस्लमान दो अलग-अलग कौमें है, दोनो साथ मिलकर नहीं रह सकती। अत: मुस्लमानो के लिए अलग देश बनना चाहिए अर्थात पाकिस्तान बनना चाहिए तथा इस विभाजन के साथ ही कश्मीर समस्या को लेकर भारत-पाक में मतभेद बने तथा कश्मीर समस्या का जन्म हुआ।



इतिहास: आजादी के समय में पाकिस्तान ने घुसबैठ करके कश्मीर के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया। बचा हिस्सा भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर का अंग बना। हिंदु और मुस्लिम सांप्रदायिक संगठन बन गए। सांप्रदायिक दंगे 1931 से होते आ रहे थे। शेख अब्दुल्ला ने अपने एक भाषण में कहां कि प्रजा परिषद भारत में एक धार्मिक शासन लाना चाहता है, जहां मुस्लमानो के धार्मिक हित कुचल दिए जाएंगे।राजनैतिक टक्कर लेने के लिए शेख अब्दुल्ला ने खुद को मुस्लिमों के हितैषी के रुप में अपनी छवि बनाई। सन् 1977 से कश्मीर और जम्मू के बीच दुरियां बढ़ती गई।    विवाद यह था कि भारत की स्वतंत्रता के समय राजा हरि सिंह यहां के शासक थे अंग्रजो की नीति के अनुसार भारत का विभाजन हो रहां था और समय कश्मीर को लेकर भारत पाक में मतभेद शुरु हो गए। राजा ने भारत के पक्ष में कहां परंतु पाक को यह बात पसंद न थी और जबरन काफी हिस्सा कब्जा करने लगा परंतु भारतीय सेना ने जब काफी हिस्सा बचा लिया तो इस विवाद को सयुंक्त राष्ट में लाया गया।



सयुंक्त राष्ट: भारत कश्मीर समस्या को 1 जनवरी 1948 को सयुंक्त राष्ट सुरक्षा परिषद में लाया गया। परिषद ने भारत और पाक को बुलाया, व स्थिति सुधार के उपाय खोजने की सलाह दी। 
भारत और पाक के बीच मतभेद तो चल रहे थे जिसमे कश्मीर समस्या ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। और भारत और पाक के मध्य झगड़े भी हुए जैसे 1947 के दंगे, 1965 व 1971  के युद। 1965 तथा 1971 के युद्ध में तो पाक सेना को समपर्ण करना पड़ा था। बाद में कारगिल युद्ध में भी पाक की हार हुई। पाक के बीच हुए युद्ध में उसे हार का सामना करना पड़ा है।



भारतीय पक्ष : 

1.      भारत के अनुसार जम्मू और कश्मीर की लोकतांत्रिक और निर्वाचित सविधान सभा ने 1957             में एकमत से महाराजा ने विलय के कागजात को हामी दे दी थी और राज्य के ऐसा सविधान    स्वीकार किया जिसमें कश्मीर को भारत में स्थायी विलय की मान्यता दी गई थी।

2.      कई चुनावो में कश्मीरी जनता ने वोट डालकर भारत का साथ दिया है।

3.      भारत पाकिस्तान के दो राष्ट के सिद्धांत को नहीं मानता भारत स्वंय धर्मनिरपेक्ष है।

4.      कश्मीर का भारत में विलय बिटिश भारतीय स्वातंत्रय अधिनियमके तहत कानूनी तौर पर

1.      सही था।

5.      राज्य को सविधान के अनुच्छेद 370 के तहत स्वात्यता प्राप्त है। कोई गैर कश्मीरी यहां     जमीन नहीं खरीद सकता।

 पाकिस्तानी पक्ष:                           

1.      दो राष्ट के सिद्धांत के तहत कश्मीर मुस्लिम बहुल होने के नाते पाकिस्तान में जाना चाहिए। विकल्प होने पर कश्मीरी पाकिस्तान को ही चुनेगा, क्योंकि वो भारत से नफरत करता है।

2.      भारत डरता है कि अगर जनमत संग्रह हुआ तो कश्मीरी जनता पाकिस्तान को ही चुनेगी।

3.      कानूनी तौर पर कश्मीर के महाराजा द्धारा भारत में विलय गलत था क्योंकि महाराजा ने ये विलय परेशानी की स्थिती में किया।

4.      पाकिस्तान की मुख्य नदियां भारत से आती है जिन्हे वह कभी भी रोक सकता है।

 आंतकवाद
जो भी हो आज कश्मीरी जनता पाकिस्तान द्धारा चलाए जा रहे भयानक आंतवाद से जूझ रही है। भारतीय फौज द्धारा चलाए जा रहे आंतवाद-विरोध अभियान ने भी कश्मीरीयों को में मानव अधिकार हनन ही दिए है। भारतीय फौज इस पर अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहती है कि आंतवादी विरोधी कारवाई में कश्मीरी जनता कभी कभी पिस जाती है।












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