Monday 28 January 2013

नशे में डूबता बचपन


                                                                                              
नशा किसी भी प्रकार से किया जा सकता है फिर वह चाहे शराब का हो, तंबाकू हो, सिगरेट, गुटखा आदि। देश का उज्जव भविष्य बच्चों को आज नशे की लत में पाया जा रहा है। अगर देखा जाए तो दस वर्ष की उम्र में आकर बच्चे नशे की लत में डूब जाते है जिसमें ज्यादा तर गरीब परिवार के बच्चों को पाया गया है। गरीब मां बाप मजदूरी में लग जाते है बच्चों पर ध्यान नहीं देते नतीजा यह होता है कि बच्चे नशे की लत की चपेट में आ जाते है। संयुक्त राष्ट्र संघ के नारकोटिक्स नियंत्रण बोर्ड की वर्ष 2009 की रिपोर्ट में बताया गया है कि दस से ग्यारह वर्ष की आयु के 37 प्रतिशत स्कूली विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन करने लगते हैं और वे नशा़खोरी की आदत के शिकार हो जाते हैं। सबसे ज़्यादा चिंता की बात है अति ग़रीब और ग़रीब वर्ग के बच्चों की, जो सबसे ज़्यादा नशे की गिरफ़्त में आ रहे हैं। ये बच्चे तंबाखू, गुटखा से लेकर गांजा, अ़फीम, चरस, हेरोईन जैसे घातक मादक पदार्थो का सेवन करते हैं। नशे की लत इस कदर बच्चों को पढ़ जाती है कि जब वे अपना मनचाहा नशा नहीं कर पाते तो इनके खून में मादक पदार्थों के भूख बढ़ जाती है जिसको बुझाने के लिए ये बच्चें बोन फिक्स,वाइटनर, डेंड्राइट, आयोडेक्स, फोर्टबीन इंजेक्शन, स्थास्मो प्रोसीमन का सेवन करने लगते है कभी कभी तो पैट्रोल या कैरोसिन को पीकर लत बुझाते है। और साथ ही अफीम, गांजा, भांग, ब्राउन शुगर का ज्यादा इस्तेमाल करते है।
इस परेशानी के जान कितने बच्चे नशे के कारण मौत की चपेट में आ जाते है जिनका गरीब होने के कारण इलाज नहीं करा पाते।  यदि देखा जाए तो नशे में तंबाकू को सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि अभी लगभग 50 लाख लोगों कि मृत्यु हर साल तंबाकू की वजह से हो जाती है। विश्व स्वास्थय संगठन के अनुसार एडस, एल्कोहल और दूसरी नशीली वस्तुओओं को एक साथ रख दिया जाए तो तंबाकू की वजह से होने वाली मृत्यु की दर बढ़ी है और ये संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जो कि 2025 तक 1 करोड़ तक पहुंच सकती है और देखा जाए तो तंबाकू का सेवन बच्चों में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। और भारत में तंबाकू के कारण 8 से 9 लाख लोगों कि मृत्यु हो जाती है जो आने वाले समय में कई गुना से तेजी होने की संभावना है। नशे लत लगने के कारण बच्चों का पूर्ण रुप से विकास नहीं हो पाता, वे मानसिक तौर पर भी बिमार हो जाते है चीजों को समझ नहीं पाते। नशे की लत में आज बच्चे गांजा, अफीम, चरस चीजों का सेवन ज्यादा करने लगे है  जो एक गंभीर और चिंत्ताजनक विषय है।  एक ज्यादा उम्र का व्यक्ति यदि नशा करता है तो उसे पता होता है कि वह एक गलत काम कर रहा है लेकिन अगर एक बच्चा नशा करता है तो उसे खुद नहीं पता होता कि वह अपने जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है इसलिए इस समस्या को जड़ से खत्म करना होगा।